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Showing posts from March, 2025

2nd year 4th sem

UNIT -1 ध्रुवस्वामिनी नाटक का प्रधान पात्र ध्रुवस्वामिनी है। ध्रुवस्वामिनी का नामकरण नायिका के नाम पर है। नाटक की फलभोक्ता भी ध्रुवस्वामिनी है। अतः इस नायिका प्रधान नाटक की नायिका ध्रुवस्वामिनी ही है। ध्रुवस्वामिनी का चरित्र अनेक विशेषताओं से युक्त है। ध्रुवस्वामिनी लिच्छिवि राजा की पुत्री है। उसके पिता उसे मगध के राजा आर्य समुद्रगुप्त की संया में उपहार स्वरूप भेजता है। चन्द्रगुप्त और ध्रुवस्वामिनी एक दूसरे से प्रेम करते हैं। अतः यह पूर्व निश्थित है कि उन दोनों का विवाह होगा। विवाह होने से पहले चन्द्रगुप्त के पित्ता सम्राट समुद्रगुप्त का स्वर्गवास हो जाता है। समुद्रगुप्त चन्द्रगुप्त को अपना उत्तराधिकारी घोषित करके मरते हैं। वे यह भी स्पष्ट कर देते हैं कि ध्रुवस्वामिनी और चन्द्रगुप्त का परिणय होना है। चन्द्रगुप्त का बड़ा भाई रामगुप्त मंत्री शिखरस्वामी के सहयोग से राजसिंहासन पर बैठता है। ध्रुवस्वामिनी की इच्छा के विरुद्ध उसका विवाह रामगुप्त में कर दिया जाता है। रामगुप्त जैसे क्लीव पुरुष को अपने पत्ति के रूप में पाकर ध्रुवस्वामिनी अत्यंत दुःखी हो जाती है। महादेवी के सम्मानित्त पद पर पहुँच...

1st year 2nd sem

MODERN POETRY PANCHVATI एक दिन लक्ष्मीनारायण मिश्र प्रश्न- एकांकी नाटक के तत्वों की दृष्टि से (एक दिन) की आलोचना कीजिये एकांकी का परिचय- हिन्दी नाट्य साहित्य में श्री लक्ष्मीनारायण मिश्र का अत्याधिक महत्वपूर्ण स्थान है और समस्यामूलक नाटकों की परम्परा का सूत्रपात उन्हीं से हुआ। अशोक, संयासी, राक्षस का मंदिर, मुक्ति का रहस्य, राजयोग सिंदूर की होली, आधी रात, जात की वीणा, गरुजुध्वज और यक्ाराज आदि नारकों के साथ-साथ उनीने कुछ सुन्दर एकांकी नाटक भी लिखे हैं। 'एक दिन' उनका उल्लेखनीय सामाजिक एकांकी है और इसमें उनकी एकांकी कला विचारधारा का सुन्दर उदाहरण कहा जाता है। एकांकी का सारांश एकांकीकार ने एकांकी का प्रारम्भकरते हुए लिखा है 'देहात के किसी गांव में खपरैल का मकान। माटी की दीवारें, चिकनी कर चूने से लीपी गई हैं। आगे की ओर काट के खम्भों पर ओगरा। खम्भे काले पड़ गये है, उनके रंग से ही उनकी आयु फूट रही है। उनका हीर इतना सूख गया है कि जगह-जगह देखी-मेढ़ी दरारें पड़ गई है। जाति का गुण और बल और कही माना जाय या नहीं, इन खम्भों की लकड़ी में ती ठोस है। के शीशम के खम्बे अपनी टेक से पत्थर के का...

1st Year 1st semester

1st Year 1st Semester  UNIT - 1 भारतीय संस्कृति  भारत एक विशाल देश है। इस कारण कोई भी विदेशी इसे कई देशों को समूह कह उठेगा। भारत अपनी विभिन्नताओं के लिए भी प्रसिद्ध है। प्रकृति की दृष्टि से हो या भाषा की दृष्टि से थे विभिन्नताएँ देखने को मिलते हैं। परंतु इन विभिन्नताओं के बीच एक एकताहुए लेखक बनाते है कि हमारी संस्कृनि नैतिकता और आध्यात्मिकता है, वह एक के समान है। आज तक उन्होंने हमारी संस्कृ जीवित रखा है। विषम से विषम परिस्थितियों इमें मिटने से बचा लिया है। अहिंसा तत्व के बारे में बताने हुए लेखक कि यह तो विश्व के लिए भारत की देन है। आहिर का दूसरा नाम ही न्याया है। अहिंसा और त्याग की भावना से इसने सबको फूलने-फलने का अवसर दिया है। | इमने भिन्न-भिन्न विचारधाराओं को स्वच्छंदता पूर्वक अपने-अपने रास्ते में बहने दिया। भिन्न-भिन्न देशों की संस्कृतियों मियों को अपने में मिलाया और अपने को उसमें मिलने दिया। ह‌मारी सामू‌हिक चेतना दूढ़ है और यही हमारे देश का प्राण है। इस वैज्ञानिक युग में जब हमारे हाथों में अपरिचित शक्ति है।  विशेषता : भारत की विभिन्नताएँ तथा उसको सांस्कृतिक एकता का परि...